नाबालिग मुस्लिम लड़की को शादी की अनुमति देने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर न लें: सुप्रीम कोर्ट

केस टाइटल : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) बनाम जावेद और अन्य डायरी संख्या 35376-2022

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि प्यूबर्टी प्राप्त कर चुकी 15 साल की मुस्लिम लड़की पर्सनल लॉ के तहत शादी कर सकती है।

हाईकोर्ट के इस फैसले को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है जो यौन सहमति के लिए 18 वर्ष की आयु निर्धारित करता है।
CJI चंद्रचूड़ इस मामले में नोटिस जारी करने और उच्च न्यायालय के अन्य निर्णयों के खिलाफ एनसीपीसीआर द्वारा दायर पहले की इसी तरह की याचिकाओं के साथ इसे टैग करने पर सहमत हुए, जिन्होंने समान विचार रखे हैं।हालांकि, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि निर्णय पर रोक लगा दी जाती है, तो लड़की को उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके माता-पिता के पास वापस भेजा जा सकता है। उसके माता-पिता चाहते थे कि वह अपने मामा से शादी करे।
 "हम कानून के सवाल पर फैसला करने के लिए नोटिस जारी करेंगे और कहेंगे कि फैसले को मिसाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।"

आपको बता दें, केरल हाईकोर्ट ने हाल के एक फैसले में कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार शादी को POCSO अधिनियम से बाहर नहीं रखा गया है और अगर इस तरह की शादी में से एक पक्ष नाबालिग है, तो व्यक्तिगत कानून के तहत विवाह की वैधता की परवाह किए बिना POCSO के तहत आपराधिक अपराध का गठन होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *